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संयम - लेखनी प्रतियोगिता -10-Jun-2022

संयम
संयम है ऐसा गुण जिसमें समाहित सुख
भौतिकता के पीछे न भागे मानव, न हो दुख।

काम, क्रोध, लोभ, तृष्णा व मोह से रखे दूर
संयम भाव से मानव न हो पाए घमंड में चूर।

विषय वासना को मारने का अचूक हथियार
संयम मन में भर देता है शांति और प्यार।

व्यक्तित्व में भर देता है दिव्य अतुलित नूर
संयम कभी बनने न दे मानव को मगरूर।

आडंबर से मुक्त होकर सुकून पाता मानव
आध्यात्म में मन लगे, दूर रहे क्रोध का दानव।

संयम का हर पल दुखों से निजात दिलाता
सब्र कमज़ोरी नहीं ताकत है ये समझाता।

संयम संग जो लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाता
गिरता, उठता न होता निराश, मंजिल पाता।

संयम मानव का स्वयं से ही होता है युद्ध
विजयी होने पर मन आत्मा दोनों होते शुद्ध।

जीवन में संयम धारण कर मन बनाओ पावन
तब जीवन का पतझड़ भी प्रतीत होगा सावन।

डॉ. अर्पिता अग्रवाल

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10 Comments

Seema Priyadarshini sahay

11-Jun-2022 05:06 PM

Nice

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Dr. Arpita Agrawal

11-Jun-2022 01:04 PM

आदरणीय अभिनव जी, पूनम जी, स्वाति जी, रेनू जी, ज़ाकिर हुसैन जी, गुंजन जी व रज़िया जी आप सभी का हार्दिक आभार मेरी रचना को पसंद करने के लिए 🙏🏻🙏🏻😊😊😊

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